सौंफ घर -घर में मुखशुद्धि के रूप में प्रचलित सौंफ का उपयोग प्राचीनकाल से ही औषधि के रूप में भी होता रहा है | इसके अलावा सौंफ का उपयोग मसालों और पान में डाले जाने वाले मसाले के रूप में भी होता है | गांव में आज भी लोग ठंडाई शरबत बनाकर इसका सेवन करते हैं| पेट के रोगों के लिए तो ये रामबाण औषधि है | सूखी सौंफ श्लेष्मिक कला और पाचन तंत्र पर प्रभावकारी असर करता है |
मुलायम,हरी,सौंफ अत्यंत स्वादिष्ट और रुचिकर होती है |
परिचय
सौंफ की खेती पूरे भारत में की जाती है| इसके पौधे 2 से 3 फ़ीट ऊँचे होते है | पत्ते धनिया के समान किन्तु पतले होते हैं फूल पीले रंग के पांच पंखुड़ी वाले होते हैं जिनमे बाद में सौंफ के दाने लगते हैं | अंग्रेजी में इसे डिल सीड्स कहते हैं |
सौंफ के गुण–
सौंफ को एक समय में सभी स्त्री रोगों का टॉनिक समझा जाता था ,आयुर्वेद में आज भी माहवारी से सम्बंधित तकलीफों,अर्थराइटिस,पेडू के दर्द,सर्दी,खांसी सौंफ खाने का परामर्श दिया जाता है | इसके अलावा यह अग्निदीपक,मूत्रल,बलकारक,के साथ साथ वात रोग ,ज्वर,उदरशूल दाह,अर्श,मूत्ररोग,कफ,तृषा,वमन आदि रोगों में भी लाभदायक है |
सौंफ के औषधीय उपयोग
(1 )- पेट-रोग -पांच बड़े चम्मच सौंफ भून कर पीस लें | इसमें सम मात्रा में मिश्री पीसकर और ईसबगोल मिला लें | वह चूर्ण सुबह,शाम और रात में खाना खाने के बाद दो चम्मच ले तो “पेट में गर्मी” नहीं होगी और खाना भी जल्दी हजम हो जायेगा |
(2 )- सौंफ को चबाकर खाने और उसका रस चूसने से आफरा शांत होता है , 4,5 ग्राम सौंफ का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से भी अफरा शांत होता है |
(3)- सोने से पहले कुनकुने पानी के साथ 3 ग्राम सौंफ का चूर्ण लेने से कब्ज में फायदा होता है |
(4)- सौंफ का काढ़ा बनाकर पीने से अथवा सोंठ और सौंफ को घी सेंककर तथा कूटकर सेवन करने से आम का पाचन होता है |
(5)- सौंफ को सेंककर उसमे नमक और नीबू का रस मिलाकर बोतल में भरकर रख दे एवं भोजन के बाद इसका सेवन करने से मुखशुद्धि होती है एवं आहार पाचन होता है |
(6)- सौंफ का चूर्ण 50 ग्राम तथा गुलकंद 150 ग्राम मिलाकर रख लें | सुबह शाम 30-30 ग्राम की मात्रा में सेवन करे इससे अमाशय का भारीपन दूर होता है और कब्ज से छुटकारा मिलता है |
(7)- द्राक्ष और सौंफ २-२ तोला लेकर आधा लीटर पानी में भिगो दे ,सुबह उसे छानकर उसमे एक शक़्कर मिला कर पीने से पेट का भारीपन दूर होता है |
गर्मी की तपन से राहत –
500 ग्राम सोंफ को बारीक कूट कर आधे लीटर पानी में 3-४ घंटे तक भिगोकर उबालकर कपड़े से छान ले | अब इसमें स्वादानुसार शक़्कर मिलाकर उबालें और गाढ़ा शरबत बनाये यह शर्बत पीने से ठंडक मिलती है |
– 10 ग्राम सौंफ में 250 ग्राम पानी मिलाकर पीसकर शर्बत बनाये इसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर नियमित सेवन करने से भयंकर गर्मी से राहत मिलती है |
कान के रोग में प्रभावी
25 ग्राम सौंफ कूट कर 1 लीटर पानी में उबालें,कान में इसका भाप देने से वायु से उत्पन्न कर्ण रोगों का शमन होता है |
5 ग्राम सौंफ को कूटकर 250 ग्राम पानी में पकाएं चौथाई भाग शेष रहने पर उसमे गाय का 250 ग्राम दूध ,10 ग्राम घी और थोड़ी सी खांड मिलाकर चाय की तरह सुबह शाम पीने से मानसिक शक्ति बढ़ती है और बहरापन दूर होता है |
आँखों के लिए भी फायदेमंद
सौंफ और धनिया को समान मात्रा में लेकर उसमे शक़्कर मिलाएं, सुबह शाम 10 10 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन करने से मोतियाबिंद में लाभ होता है |
तांबे के बर्तन में 2 लीटर पानी लेकर 250 ग्राम सौंफ उसमे भिगोकर रखे,सुबह उसे मसलकर धीमी आंच पर पकाएं| जब अबलेह जैसा हो जाये तो उसे शीशी में भरकर रख ले रात को सोते समय 2-2 सलाई आँखों में लगाने से आँख की जलन एवं अन्य विकार दूर होते हैं |
सौंफ के हरे पत्तों का रस निकालकर अछि तरह घोंटे फिर इसे रात में सोते समय आँखों में लगाने आँखों के विकार होते हैं |
अन्य लाभ
सौंफ,जीरा , मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनायें | एक एक चम्मच चूर्ण जल के साथ सुबह शाम लेने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है गर्भावस्था की स्तिथि में उच्च रक्तचाप होने पर महिलाएं भी इसे निर्भयता से सेवन कर सकती हैं |
जिन लोगों को संग्रहणी की बीमारी हो उन्हें भोजन के बाद हलकी भुनी हुई सौंफ मिलाकर नियमित रूप से सेवन करना चाहिए |
सौंफ का काढा बनाकर पीने से पित्त ज्वर से राहत मि
लती है |
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