पायरिया (Pyorrhea) – कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

Mar 31, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
पायरिया (Pyorrhea) – कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

पायरिया (पेरियोडोंटाइटिस) के कारण स्वस्थ दांत भी जिनमे कोई कीड़ा आदि नहीं होता कमजोर होकर हिलने लगते हैं , और एक-एक कर के निकल जाते हैं | पायरिया की शुरुआत जिसे जिंजिवाईटिस कहते हैं जिसके मुख्य कारण दातों पर मैल,टारटर,कैल्कुलस,भोजन के अंश आदि जमे रहना,विटामिन सी की कमी होना दिमागी परेशानी आदि है | 


शरीर में हार्मोन्स का असंतुलित रहना भी जिंजिवाईटिस का मुख्य कारण है यदि हार्मोन्स असंतुलित रहते हैं और अन्य कारणों से मसूड़ों में पहले से ही जिंजिवाइटिस हो तो वह पायरिया में बदल जाता है | 


पायरिया रोगग्रस्त होने पर दांत ढीले होकर हिलने लगते हैं | मसूड़ों से मवाद और रक्त निकलने लगता है | दातों पर कड़ी पपड़ियाँ जम जाती हैं | मुंह से दुर्गन्ध आने लगती है | उचित चिकित्सा न करने पर दांत कमजोर होकर गिर जाते है | 


पायरिया का प्रारम्भ दातों की ठीक देखवाल न करने,अनियमित ढंग से जब-तब कुछ न कुछ खाते रहने के कारण तथा भोजन ठीक से न पचने के कारण होता है | लीवर की खराबी के कारण रक्त में अम्लता बढ़ जाती है | दूषित अम्लीय रक्त के कारण दन्त पायरिया से प्रभावित हो जाते हैं | मांसादि तथा अन्य गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का सेवन,पान,गुटका,तम्बाकू आदि पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में सेवन,नाक की बजाये मुँह से सांस लेने का अभ्यास,भोजन को ठीक से चबाकर न खाना,अजीर्ण,कब्ज आदि पायरिया होने के मुख्य कारण हैं | 


चिकित्सा -

  1. दातों की प्रतिदिन नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए | भोजन करने के बाद मध्यमा ऊँगली से अच्छे मंजन द्वारा दातों को साफ़ करें। नीम या बबूल का दातौन खूब चबाकर उससे ब्रश बनाकर दांत साफ़ करना चाहिए | 

  2. सरसों के तेल में नमक मिलाकर अंगुली से दातों को इस प्रकार मलें की मसूड़ों की अच्छी तरह मालिश हो जाये | 

  3. शौंच के समय दातों को अच्छी तरह भींचकर बैठें| ऐसा करने से दांत स्वस्थ रहते हैं | 

  4. रात को सोते  समय 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण जल  के साथ तथा दिन में दो बार अविपत्तिकर चूर्ण का  सेवन करें |

  5. जामुन की छाल के काढ़े से दिन में कई बार कुल्ला करें |

  6. नीम  का तेल मसूड़ों पर अंगुली से लगाकर कुछ मिनट रहने दें ,फिर पानी से दांत साफ़ कर लें |

  7. फिटकिरी कोभूनकर पीस लें | इसका मंजन पायरिया में  लाभप्रद है | फिटकरी के पानी का कुल्ला करें | 

  8. भोजन के बाद दाँतों में फसे रह गए अन्न के कण नीम आदि  की दन्तखुदनी के द्वारा निकाल ले |  

  9. सुबह-शाम  नीबूं रस निचोड़कर पियें | 

  10. पालक,गाजर और गेंहू के जवारे का रस नित्यप्रति पियें |

  11. जटामांसी- 10ग्राम, नीलाथोथा-10ग्राम,काली मिर्च- 5 ग्राम,लौंग- 2ग्राम,अजवायन- 2ग्राम, अदरक सूखी- 5ग्राम, कपूर- 1ग्राम, सेंधानमक- 5 ग्राम तथा गेरू- 10 ग्राम|

इन सबका समान मात्रा में महीन चूर्ण बनाकर रख लें |इससे दिन में तीन बार अंगुली से रगड़-रगड़ कर देर तक अच्छी तरह से मंजन करें | यह मंजन पायरिया की अनुभूत औषधि है | 

  1. अजीर्ण और  कब्ज न होने दें- यह ध्यान रखते हुए हल्का और सुपाच्य भोजन लें | रात को सोते समय हर्रे खाकर गर्म दूध पियें | सुबह 2ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण पानी के साथ लें | मिर्च-मसाला,चाय,काफी का प्रयोग न करें |

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