"ब्राह्मी के अद्भुत लाभ: मानसिक शक्ति, तनाव और स्मृति के लिए आयुर्वेदिक औषधि | Brahmi Benefits in Ayurveda"

Apr 01, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"ब्राह्मी के अद्भुत लाभ: मानसिक शक्ति, तनाव और स्मृति के लिए आयुर्वेदिक औषधि | Brahmi Benefits in Ayurveda"


ब्राम्ही के सोमवलभ्भी,महौषधि,स्वायम्भुवी,सुरश्रेष्ठा,सरस्वती,सौम्यलता,दिव्या,शारदा आदि कई नाम हैं |यह सामान्यतः गीली एवं तर जमीन पर  पैदा  होते हैं | ब्राम्ही वनस्पति वैसे तो सारे भारतवर्ष में जलाशयों के किनारे पर पैदा होती है ,पर हरिद्वार  से लेकर बद्रीनारायण  के मार्ग पर बहुत बड़ी तादाद में पायी जाती है | ब्राम्ही पौधे का रस कड़वा होता है |


ब्राम्ही  के गुण-दोष-प्रभाव


आयुर्वेद के मतानुसार ब्राम्ही शीतल,सारक,हलकी,कसैली,मधुर,स्वादुपाकी,आयुवर्धक,स्वर को उत्तम करने वाली,स्मरण शाक्ति बढ़ाने वाली तथा कुष्ठ,पाण्डु,प्रमेह,रुधिर-विकार,खांसी,विष,सूजन और ज्वर हरने वाली है | इसके अतिरिक्त यह कंठशोधक,ह्रदय के लिए हितकारी,वात,रक्त-पित्त एवं अरुचि को दूर करने वाली | 


ब्राम्ही और मष्तिष्क-सम्बन्धी रोग


ब्राम्ही की मुख्य क्रिया मष्तिष्क और मज्जा-तंतुओं के ऊपर होती है | यह मष्तिष्क को शक्ति देती है  और उसके लिए एक पौष्टिक वस्तु का  काम करती है | इस गुण के कारण ब्राम्ही मष्तिष्क तंतुओ के रोग में  विशेष रूप से दी जाती है | उन्माद और अपस्मारक के रोगों में भी यही बात होती है | इसलिए इनमे भी ब्राम्ही का प्रयोग होता है  | सिर्फ नवीन एवं ज़ोरदार रोगों में ब्राम्ही नहीं देना चाहिए क्योकि इसके अंदर कुछ उत्तेजित करने का धर्म होता है और  तीव्र रोगों में उत्तेजक औषधि देने से रोग बढ़ जाता है | इसलिए नवीन और तीव्र उन्माद में तीव्र रेचक वस्तु देकर उसके पश्चात खुरासानी अजवायन के समान कोई शामक वस्तु देना चाहिए | उन्माद और अपस्मार के पुराने होने पर  उसमे एक ओर मष्तिष्क को पुष्ट करने वाली औषधियों की ज़रूरत होती  है और दूसरी ओर कुछ उत्तेजक औषधि को देने की आवश्यकता होती है | इसलिए ऐसे रोगों में ब्राम्ही देने  से अच्छा लाभ होता है |


ब्राम्ही के अंदर कुछ कब्जियत पैदा करने का दोष भी रहता है | इसलिए इसके साथ कुछ हलकी मृदु विरेचक औषध देना उपयोगी होता है |  प्राचीन ग्रंथों में इसके साथ शंखपुष्पी देने का विधान दिया गया है | 


ब्राम्ही के अंदर एक प्रकार का उड़नशील तेल रहता है | वही इसके गुणों का आधार है | आंच की गर्मी से यह तेल उड़ जाता है  इसलिए ब्राम्ही को धुप में नहीं सुखाना चाहिए | इसका प्रयोग विशेष रूप से  बिना आंच पर तपाये करना चाहिए |

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