पायरिया रोग से ग्रस्त होने पर दांत ढीले होकर हिलने लग जाते हैं मसूड़े से मवाद और रक्त निकलने लगता है दांतों पर कड़ी पापड़ियां जम जाती है मुँह से दुर्गन्ध आने लगती है। उचित चिकित्सा न करने पर दाँत कमजोर होकर गिरने लगते हैं।
पायरिया का प्रारम्भ दांतों के ठीक देखभाल न करने, अनियमित ढंग से जब-तब कुछ न कुछ खाते रहने के कारण तथा भोजनके ठीक से न पचने के कारण होता है। लीवर की खराबी के कारण रक्त में अम्लता बढ़ जाती है। दूषित अम्लीय रक्त के कारण दाँत पायरिया से प्रभावित हो जाते हैं। मांसादि तथा अन्य गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का सेवन, पान, गुटका, तम्बाकू आदि पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में सेवन, नाक के बजाय मुँह से सांस लेने का अभ्यास, भोजनको ठीक से चबाकर न खाना, अजीर्ण, कब्ज आदि पायरिया होने के प्रमुख कारण हैं।
चिकित्सा
(1) दाँतों की प्रतिदिन नियमित रूपसे अच्छी तरह सफाई करनी चाहिये। भोजन करनेके बाद मध्यमा अँगुली से अच्छे मंजन द्वारा दाँतों को साफ करे। नीम या बबूल का दातौन खूब चबाकर उससे ब्रश बनाकर दाँत साफ करने चाहिये।
(2) सरसों के तेल में नमक मिलाकर अँगुली से दाँतों को इस प्रकार मलें कि मसूड़ों की अच्छी तरह मालिश हो जाय।
(3) शौच या लघु शंका के समय दाँतों को अच्छी तरह भींचकर बैठें। ऐसा करने से दाँत सदैव स्वस्थ रहते हैं।
(4) रात को सोते समय 10 ग्राम त्रिफला चूर्ण जल के साथ तथा दिन में दो बार अविपत्तिकर चूर्णका सेवन करे।
(5) जामुनकी छालके काढ़े से दिनमें कई बार कुत्ले करें।
(6) नीम का तेल मसूड़ों पर अँगुली से लगाकर कुछ मिनट रहने दें, फिर पानीने दाँत माफ कर लें।
(7) फिटकिरी को भूनकर पीस लें। इसका मंजन पायरिया में लाभप्रद है। फिटकरी के पानी का कुल्ला करें।
(8) भोजनके बाद दांतों में फंसे रह गए अन्नके कण को नीम आदि की दन्तखोदनी के द्वारा निकाल लें।
(9) सुबह-शाम पानी में नीबू का रस निचोड़कर पियें।
(10) पालक, गाजर और गेहुँ के जवारे का रस नित्यप्रति पियें। यह अपने आपमें स्वतः औषधि का कार्य करता है।
(11) जटामांसी-10 ग्राम, नीला थोथा-10 ग्राम, काली मिर्च-5 ग्राम, लौंग-2 ग्राम, अजवायन 2 ग्राम, अदरक सूखी-5 ग्राम, कपूर-1 ग्राम, सेंधा नमक-5 ग्राम तथा गेरू-10 ग्राम इन वस्तुओंका समान मात्रा में महीन चूर्ण बनाकर रख लें। इससे दिन में तीन बार अँगुली से रगड़-रगड़कर देर तक अच्छी तरहसे मंजन करें। यह मंजन पायरिया की अनुभूत औषधि है।
(12) अजीर्ण और कब्ज न हो- यह ध्यान रखते हुए हल्का सुपाच्य भोजन लें। रातको सोते समय हरें खाकर गरम दूध पियें। सुबह 2 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण पानीके साथ लें। मिर्च-मसाला, चाय-कॉफी का प्रयोग न करें।
दिन में दो बार ब्रश करें
फ्लॉस और माउथवॉश का उपयोग करें
दांतों के बीच फंसे खाने को साफ करें
डॉक्टर से हर 6 महीने में चेकअप कराएं
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