वर्षा ऋतू अपने साथ अनेक खुशियां लेकर आती है ,क्योंकि वर्षा ऋतू आगमन पर भीषण गर्मी से मुक्ति मिलती है , लेकिन जब वर्षा का अंत होता है और गुलाबी शीत ऋतू का प्रारम्भ होता है तो वर्षा के जल कारण मक्खी,मच्छर और दूसरे जीवाणु तेज़ी से उत्पन्न होते हैं|
वर्षा के जल से भरे गड्ढों में मच्छर तेज़ी से विकसित होते हैं | शाम होते ही मच्छर घरों में पहुंचकर सोते हुए स्त्री-पुरुष व बच्चों को काटकर रक्तपान करते हैं | इनमे से कुछ मच्छर मलेरिया की उत्पत्ति करते हैं,तो कुछ मच्छर डेंगू ज्वर फैलाते हैं |
उत्पत्ति - महानगरों में डेंगू ज्वर संक्रामक रूप मे फैलता है | घर परिवार में किसी एक स्त्री पुरुष या बच्चे को डेंगू ज्वर होने पर घर के दूसरे सदस्य भी डेंगू ज्वर के शिकार हो जाते हैं | गली मोह्हले में किसी एक व्यक्ति के डेंगू ज्वर होने पर डेंगू ज्वर संक्रामक रूप में फैलने की सम्भावना बढ़ जाती है | चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार डेंगू ज्वर “एडीज़ इजिप्टी”मच्छर के काटने से होता है | एडीज़ इजिप्टी के मादा मच्छर ही डेंगू ज्वर की उत्पत्ति करते हैं |
डेंगू ज्वर के प्रारम्भ में मलेरिया व इन्फ्लुएंजा की तरह जोरों की सर्दी लगती है | रोगी सर्दी से कांपने लगता है | सर्दी लगने से कुछ लोग डेंगू ज्वर को मलेरिया समझ लेते हैं| डेंगू ज्वर में मांस-पेशियों में पीड़ा होने के साथ सिर में तेज़ दर्द,नेत्रों के पिछले भाग में पीड़ा,जोड़ों में तेज़ दर्द भी होता है| डेंगू ज्वर में खांसी का प्रकोप नहीं होता है | क्लासिकल फार्म डेंगू ज्वर 5 से 10 दिन तक बना रहता है | कई बार आकस्मिक रूप से ज्वर कम भी हो जाता है |
जब कोई व्यक्ति डेंगू ज्वर से पीड़ित होता है,तो मादा मच्छर उसका रक्त पीकर अर्थात उसके रक्त में मिले अरबों वायरसों को लेकर दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पंहुचा देती है | इस तरह मच्छर के काटने से डेंगू ज्वर संक्रामक रूप में फैलता चला जाता है | विशेषज्ञों के अनुसार डेंगू ज्वर के कारण मृत्यु की सम्भावना प्रारम्भ नहीं होती, लेकिन जल्दी ही कोई व्यक्ति दूसरी बार डेंगू ज्वर का शिकार बने,तो मृत्यु की सम्भावना बढ़ जाती है |
डेंगू ज्वर से रोगी शारीरक रूप से बहुत निर्बल हो जाता है | शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है | ऐसी स्थिति में रोगी के लिए मलेरिया व आंत्रिक ज्वर( टायफाइड) का खतरा बहुत बढ़ जाता है | लगभग 33% डेंगू ज्वर के रोगी इन रोगों से पीड़ित होते हैं | डेंगू ज्वर 7-10 दिन के बाद भी बना रहता है, तो इन रोगों के संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है |
डेंगू ज्वर के लक्षण
एडीज़ इजिप्टी मादा मच्छर के काटने पर 5 से 8 दिन के अंतराल से डेंगू ज्वर के लक्षण प्रकट होते हैं |
जब डेंगू ज्वर साधारण रूप में फैलता है तो उसे “माइल्ड फार्म” कहा जाता है |
इसमें रोगी को हल्का ज्वर होता है |
ज्वर के साथ भूख में कमी और शरीर के विभिन्न अंगों में हल्की पीड़ा होती है |
ज्वर का प्रभाव 72 घंटे तक बना रहता है |
माइल्ड फार्म की अवस्था में रक्त में ‘प्लेटलेट्स’ की बहुत कमी हो जाती है |
डेंगू ज्वर के दुसरे रूप को “क्लासिकल फार्म”कहा जाता है |
छोटी आयु के बच्चे इस रोग से अधिक पीड़ित होते हैं | मच्छर के काटने से एक सप्ताह के दौरान रोगी की मांस-पेशियों में पीड़ा,प्रतिश्याय,नेत्रों में लालिमा,अधिक थकावट,तथा शारीरिक निर्बलता के लक्षण दिखाई देते हैं | इनके बाद तीव्र ज्वर की उत्पत्ती होती है |
क्लासिकल फार्म की स्थिति में मृत्यु की सम्भावना काफी कम हो जाती है,लेकिन कुछ विकृतियों के कारण रोगी को अधिक कष्टदायक परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है | ज्वर आने के चौथे या पांचवे दिन लगभग 35% रोगियों में हल्की बेहोशी,वमन व पीलिया के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं | रोगी की इस परिस्थिति को डेंगू हेपिटाइटिस कहा जाता है | इस अवस्था में रोगी 5 से 10 दिन तक रहता है | ज्वर नष्ट होते ही पीलिया के लक्षण भी समाप्त हो जाते हैं | हेपिटाइटिस की अवस्था में मृत्यु की संभावना तो कम हो जाती है,लेकिन रोगी शारीरिक रूप से बहुत निर्बल हो जाता है |
शारीरिक रूप से इतना निर्बल हो जाता है की ज्वर तेज़ होने पर भी रोगी क हाथ-पाँव शीतल अनुभव होते हैं | ऐसे में शरीर के भीतर रक्तस्त्राव होने लगता है | शरीर के विभिन्न अंग नाक,मुँह,मलद्वार से रक्त निकलने लगता है | मूत्र के साथ भी रक्त निकलने लगता है | ऐसे में रक्तचाप बहुत ही कम हो जाता है,लेकिन नाड़ी की गति बहुत तेज़ हो जाती है | इस दशा में रक्तस्त्राव के कारण रोगी की मृत्यु की संभावना बहुत बढ़ जाती है |
डेंगू ज्वर की चिकित्सा -
आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार डेंगू ज्वर की कोई विशेष चिकित्सा संभव नहीं होती है|
डेंगू ज्वर के संक्रमण से पहले डेंगू ज्वर रोग प्रतिरोधक टीके लगा लेने से सुरक्षा हो सकती है | वर्षा ऋतू में ऐसे टीके बच्चों को अवश्य लगवा लेना चाहिए | ऐसा करने से शीत-ऋतू में भी डेंगू ज्वर से सुरक्षा होती है | घरों के आसपास,कूलर व अँधेरे कमरों में मच्छरों को नष्ट करने के लिए कीटनाशक औषधियों का छिड़काव करने से भी लाभ होता है | मच्छरों को नष्ट होने से डेंगू ज्वर का प्रकोप कम होता है |
माइल्ड फार्म डेंगू ज्वर की स्थिति में एलोपेथी चिकित्स्क ज्वर नष्ट करने के लिए पेरासिटामोल का उपयोग करते हैं | रक्त में प्लेटलेट्स की अधिक कमी हो जाने पर रोगी को अस्पताल में जाकर चिकित्सा कराना चाहिए | रक्त चढ़ाने से भी प्लेटलेट्स की कमी को पूरा किया जा सकता है |
डेंगू ज्वर का तीसरा रूप “हेमरेजिक” होता है | इसको रक्तस्त्रावी भी कहा जाता है | डेंगू ज्वर के संक्रामक रूप में फैलने पर हेमरेजिक से पीड़ित अधिक रोगी देखे जाते हैं | इस रोग में ज्वर तीव्र गति से बढ़ता है | रोगी के बेहोश होने,पेट दर्द होने,वमन होने की विकृतियां अधिक होती हैं | लेकिन मांस-पेशियों व अस्थियों में तीव्र शूल नहीं होता है | तीन-चार दिन में इस रोग के लक्षण तेज़ी से कम हो जाते हैं |
डेंगू ज्वर की आयुर्वेदिक चिकित्सा
कृष्ण चतुर्मुख रस 125 से 250 मिग्रा की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से सर्दी से उत्पन्न ज्वर में बहुत लाभ होता है | दिन में तीन बार इस औषधि का सेवन करना चाहिए |
त्रिभुवन कीर्ति रस,मृत्युंजय रस,महालक्ष्मी विलास रस में से किसी एक रसोषधि को 125 से 250 मिग्रा की मात्रा में शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन कराने से डेंगू का प्रकोप नष्ट हो जाता है |
डेंगू ज्वर के प्रारंभ में मकरध्वज लगभग १२०-१२० मिग्रा की मात्रा में सुबह-शाम पटोल पत्र के रस या शहद के साथ देने से ज्वर नष्ट होता है| इसका सेवन 2-3 दिन कराना चाहिए |
डेंगू ज्वर के कारण अस्थियों में पीड़ा,हल्का ज्वर होने की स्थिति में लक्ष्मी विलास रस की लगभग १२०मिग्रा की मात्रा की गोली खरल में पीसकर पान के रस के साथ सेवन कराएं| इस औषधि का सेवन सुबह शाम करने से बहुत लाभ होगा |
डेंगू ज्वर से पीड़ित स्त्री-पुरुष में यदि बेहोशी की स्थिति बन जाए,तो मकरध्वज रस लगभग 120मिग्रा,मृत्युंजय रस 1 गोली,लक्ष्मी विलास रस की एक गोली किसी खरल में पीसकर पान के रस व शहद के साथ सेवन कराएं | रोगी को दिन में इस औषधि का सेवन कराना चाहिए|
मकरध्वज रस,स्वर्ण बसंत मालती रस दोनों लगभग 60-60 मिग्रा की मात्रा में लेकर,इसमें प्रबाल पिष्टी लगभग 120मिग्रा,सितोपलादि चूर्ण लगभग 1 ग्राम और नवायस लौह लगभग 240मिग्रा मिलाकर सबको किसी खरल में पीसकर शहद के साथ सेवन कराने से डेंगू ज्वर का प्रकोप नष्ट होता है | शारीरिक निर्बलता भी नष्ट होती है |
डेंगू ज्वर की अधिकता से रोगी प्रलाप की अवस्था में पहुंच सकता है | ऐसी स्थिति में मस्तिष्क की उष्णता कम करने के लिए भृंगराज तेल को बर्फ पर ठंडा कर के सिर पर मलने से बहुत लाभ मिलता है | तेल में पट्टी भिगोकर भी सिर पर रख सकते हैं |
रोगी को ज्वर की तीव्रता के कारण अधिक बेचैनी,दाह होने पर सौभाग्य वटी की गोली पीसकर,परवल के रस और शहद के साथ दिन में दो बार सेवन कराएं |
रोगी को कब्ज होने पर कुटकी चूर्ण कुनकुने जल से सेवन कराने पर कोष्ठवद्धता नष्ट होती है |
डेंगू ज्वर के नष्ट हो जाने पर रोगी शारीरक रूप से अधिक निर्बल हो गया हो,तो महालक्ष्मी विलास रस की एक गोली खरल में पीसकर,थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर अदरक के 6मिली रस के साथ सेवन कराएं | प्रातः काल सेवन कराने से अधिक लाभ होता है | सायंकाल के समय रोगी को गुडुच्यादि वटी की एक गोली,मकरध्वज लगभग 120मिग्रा खरल में पीसकर अनार के रस के साथ सेवन कराएं |
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