"मधुमेह (डायबिटीज़): कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज | Diabetes Ayurvedic Treatment in Hindi"

Mar 31, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"मधुमेह (डायबिटीज़): कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज | Diabetes Ayurvedic Treatment in Hindi"

   मधुमेह अर्थात डॉयबिटीज़ मनुष्य के शरीर में शुगर की मात्रा अधिक हो जाने से हो जाती है | इसमें मनुष्य का शरीर दुर्बल होने लगता है,आँखों की रौशनी कम होने लगती है,मूत्र बार-बार और अधिक मात्रा में आने लगता है | हर वक़्त थकान व हाथ पैरों में पीड़ा सी महसूस होने लगती है | मनुष्य के मुँह से हर वक़्त दुर्गन्ध सी आने लगती है ,शरीर का घाव जल्दी नहीं भरता,पसीना कम आता है तथा प्यास अधिक लगती है | इन लक्षणों के उभरने पर मनुष्य को तुरंत रक्त परिक्षण करा लेना चाहिए | अगर मधुमेह की बीमारी सुनिश्चित हो जाये तो घबराना नहीं चाहिए | परहेज़,नियम,संयम तथा पथ्य द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है | 


  • नीबू से प्यास बुझाये- मधुमेह के मरीज़ को प्यास अधिक लगती है | अतः बार-बार प्यास लगने की अवस्था में नींबू निचोड़कर पीने से प्यास की अधिकता शांत होती है | 


  • गाजर-पालक को औषधि बनायें-  मधुमेह के रोगियों को पालक के साथ-साथ गाजर का रस भी नियमित रूप से अपनाना चाहिए| गाजर के रस 315मिली. के साथ पालक का रस 185 मिली. को मिलाकर पीने से आँखों की कमजोरी दूर होती है तथा ज्योति क्षीण नहीं हो पाती | 


  • खीरा खाकर भूख मिटाइये- मधुमेह के रोगियों को अधिक खाने की इज़ाज़त नहीं होती है | उन्हें भूख से थोड़ा कम तथा हल्का भोजन लेने की सलाह दी  जाती है | ऐसे में बार-बार भूख महसूस होती है | इस स्थिति में खीरा खाकर भूख मिटाना चाहिए| 


  • रामबाण औषधि भी है शलजम- मधुमेह के रोगी को आलू से सख्त परहेज़ करना चाहिए | तोरई,लौकी,परवल,लाल साग,पालक,पपीता आदि की सब्जी को ग्रहण करना चाहिए| शलजम के प्रयोग से मधुमेह के रोगियों के रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम होने लगती है| शलजम की सब्जी,पराठे,सलाद,अचार आदि का स्वाद बदल-बदलकर ले सकते हैं | 


  • जामुन खूब खाइये- मधुमेह के उपचार के लिए जामुन एक पारम्परिक औषधि है | जामुन को मधुमेहियों का फल कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं,क्योकि इसकी गुठली,छाल,रस,गूदा,सभी मधुमेह में बेहद फायदेमंद हैं| मौसम के अनुरूप जामुन का सेवन औषधि के रूप में खूब करना चाहिए | जामुन की गुठली को संभाल कर एकत्रित कर लें| इसके बीजों में “जाम्बोलिन” नामक तत्व पाया जाता है,जो स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है|  जामुन की गुठली को सुखाकर,बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए| तीन ग्राम की मात्रा दिन में तीन से चार बार तक पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शुगर की मात्रा कम करने में मदद मिलती है | 


  • करेला का इस्तेमाल करें- प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता  रहा है | खासकर इसका कड़वा रस शुगर की काट माना जाता है |  मधुमेह के रोगी को प्रतिदिन 1.5 मिली. करेला का रस 100 मिली. पानी के साथ मिलाकर तीन बार करीब तीन महीने पिलाना चाहिए,इससे आश्चर्यजनक लाभ होता है |  

अभी तक कच्चे करेले  के रस को मधुमेह में ज्यादा फायदेमंद बताया जा रहा है किन्तु नए शोधों के अनुसार उबले करेले का रस कच्चे करेले के रस से ज्यादा गुणकारी साबित हुआ है | इसके लिए करेले को टुकड़े-टुकड़े कर पानी के साथ खुले भगोने में 15 मिनट तक धीमी आंच में उबालें| उबले करेले का यह पानी मधुमेह को शीघ्र व स्थायी रूप से समाप्त करने की क्षमता रखता है | 


  • मेथी का प्रयोग- आजकल मधुमेह के उपचार के लिए मेथी के प्रयोग की बहुत चर्चा है| दवा कम्पनिया मेथी के प्रयोग को बाजार तक ले आयी हैं,इससे पुराना मधुमेह भी ठीक हो जाता है,जिनका शुगर इन्सुलिन से भी ठीक नहीं होता,मेथी उसे ठीक कर  देती है| 

मेथी के दानों का चूर्ण बनाकर रख लीजिये| नित्य प्रातः खाली पेट चाय के चम्मच से दो चम्मच चूर्ण पानी के साथ निगल लीजिये| कुछ दिनों में आप इसकी अदभुत क्षमता देख कर चकित रह जाएंगे | 


  • बार-बार पेशाब लगने पर-अधिक मात्रा में और अधिक बार पेशाब आने की स्थिति में आठ ग्राम पिसी हल्दी को मुँह में रखकर पानी पी लेने से पेशाब का क्रम कम हो जाता है | 


  • मशरूम का सेवन- अनेक शोधों से ज्ञात हुआ है की मशरूम मधुमेह के लिए बहुत उपयोगी है| इसमें मांस,मछली,दूध आलू और अन्य सब्जियों की तुलना में प्रोटीन की मात्रा लगभग दुगुनी होती है | इसमें स्टार्च नहीं होता है | इस कारण यह मधुमेह के रोगियों के लिए वरदान है | 


  • अन्य उपचार- नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस लेना,केले के पत्ते का रस चार चम्मच लेना,गुड़मार की पत्ती का काढ़ा सुबह-शाम  लेना भी मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाण है |

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