उच्च रक्तचाप तो छिपा हुआ सांप है ही जो अचानक काल के रूप में प्रकट होकर जीना दूभर कर सकता है,पर जहाँ तक निम्न रक्तचाप का प्रश्न है,यह आपके लिए दीर्घायु व स्वस्थता का द्योतक है, यदि आप किसी प्रकार का कष्ट व शारीरिक दुर्बलता महसूस नहीं करते हैं तो | पर यदि आप थकान से ग्रस्त हैं,शरीर बेजान सा लगता है,मन अनमना सा रहता है तो रक्तचाप मापन कराकर यह सुनिश्चित करना आवश्यक है की कहीं बीमारी पल बढ़ तो नहीं रही,जो कुछ दिनों में पल बढ़कर घातक बन जाए | इसलिए जब भी आपको अधिक कमजोरी,थकान लगे या सामान्य जीवन यापन करने में कठिनाई हो तो रक्तचाप नपवाने में देर न करें और कम होने पर किसी योग्य उपचारक से शरीर परिक्षण कराएं तथा यदि बीमारी न भी निकले तो भी निश्चिंत न हो बल्कि उपचारक व आहार विशेषज्ञ से परामर्श लेकर खानपान व दैनिक दिनचर्या ऐसी अपनाएं जिससे रक्तचाप सामान्य हो जाए और थकान और कमजोरी महसूस न हो|
निम्न रक्तचाप से अभिप्राय
रक्तदाब के नियमन करने वाले कारण हैं -ह्रदय प्रंकुचन,रक्त की कुल मात्रा,धमनियों की स्वस्थता,वृक्क,स्वयंचलित नाड़ीतंत्र,रक्तागत इलेक्टरोलाइटस तथा अतिसूक्ष्म नियामक प्रतिवर्त और यह सभी कारक आयु,लिंग आनुवंशिकता,शारीरिक व मानसिक स्थिति से प्रभावित होते हैं | रक्तदाब मिमी मरकरी में नापा जाता है |
निम्न रक्तचाप का वर्गीकरण -
अस्थायी निम्न रक्तचाप - हमारे जीवन में इतनी अधिक समस्यांए हैं की सबका समाधान हो पाना कठिन ही नहीं असंभव है | इससे निरंतर जूझते रहने के कारण इतनी भागदौड़ करनी पड़ती है की शरीर बेदम हो जाता है और थकान इतनी हो जाती है की शरीर टूटने लगता है | भागमभाग से दैनिक जीवन भी अस्तव्यस्त हो जाता है जिससे न तो ठीक समय पर भोजन मिलता है न शरीर को विश्राम | इससे पाचन भी प्रभावित रहता है | इसके अतिरिक्त चिंताएं मनुष्य को हर समय सताती रहती हैं जिसके कारण ठीक तरह से नींद भी नहीं आती | ऐसे कई कारणों से रक्तचाप में गिरावट आ जाती है जिसको केवल दिनचर्या सुधारकर व शारीरिक और मानसिक विश्राम द्वारा ही दूर किया जा सकता है |
अस्थायी निम्न चाप के और भी कई कारण हो सकते हैं - चोट लगने के कारण रक्तस्त्राव होने पर रक्त का दाब कम हो जाता है | गर्म पानी से स्नान करने पर भी रक्तचाप अस्थायी रूप से कम हो जाता है |
स्थायी निम्न रक्तचाप - बहुत से रोग जैसे बायीं निलय का ह्रदय पात,अन्तर्हृद्शोथ,औषधिजन्य हत्पेशीघात,ह्रदय का तीव्र संपीड़न,राजयक्ष्मा,रोहिणी,फ्लू,हैजा,अंशुघात(लू लगना),रक्ताल्पता,खुनीपेचिश,रक्तप्रदर,अमाशय व आंत्रक्षोभ,वृक्कीय रोग,प्रमेह,आंत्रिक ज्वर,सतत ज्वर,निर्जलीकरण,एडिशन्स सिमंडस,इम्फाईसीमा रोग होने से निम्न रक्तचाप उत्पन्न हो सकता है,जो केवल रोग निवारण के पश्चात ही सामान्य हो सकता है |
न्यून रक्तचाप के लक्षण -
रोगी को प्रायः विशेष कष्ट नहीं होता बल्कि लक्षण रक्त प्रवाह की कमी की वजह से उभरते हैं,जैसे भ्र्म ,आलस्य,मष्तिष्क,विस्मृति,सिरदर्द,श्रम से भय,शून्यता या बेहोशी | इसके अतिरिक्त कमजोरी,हाथ,पैरों का ठंडा बना रहना,निष्क्रियता व वमन की प्रवत्ति भी पायी जाती है |
मुद्रा सम्बन्धी प्रकार -
कभी-कभी अचानक उठकर एकदम चलने फिरने से कुछ व्यक्तियों को निम्न रक्तचाप हो जाता है जिसकी प्रकृति अस्थायी होती है क्योंकि सामान्य मुद्रा स्थिति होते ही रक्तचाप फिर सामान्य हो जाता है | ऐसे व्यक्ति को विस्तर से धीरे-धीरे उठकर बैठ जाना चाहिए और थोड़ी देर बैठने के पश्चात् विस्तर के नीचे पैर लटकाना चाहिए | फिर थोड़ी देर पश्चात् उठकर खड़े होना चाहिए | ऐसे व्यक्तियों के लिए पेट में पति बाँधना लाभदायक होता है | सोते समय एक-दो अतिरिक्त तकिये लगा लेना चाहिए ताकि सिर ऊँचा रहे |
उपचार -
निम्न रक्तचाप को सामान्य बनाने में नमक की उपयोगिता ?
प्राचीन उपचारकों का यह मत रहा है की नमक की मात्रा थोड़ी बढ़ा देने से न्यून रक्तचाप को सामान्य बनाया जा सकता है | 10 वर्ष पूर्व जर्नल आफ मेडिसिन और क्लीनिकल इन्वेस्टीगेशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह कहा गया की नमक के सेवन का कुछ न कुछ प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के रक्तचाप पर पड़ता है और थोड़ी बहुत वृद्धि अवश्य होती है | इससे यह सिद्ध होता है कि यदि औषधि के स्थान पर अतिरिक्त नमक की उपयुक्त मात्रा व्यक्ति विशेष के लिए निर्धारित कर दी जाये तो रक्तचाप को सामान्य बनाया जा सकता है | यद्यपि यह सिद्धांत न्यायसंगत प्रतीत होता है पर व्यावहारिक रूप में नमक के अधिक उपयोग से नाना प्रकार के विकार भी उत्पन्न हो सकते हैं | इसका कारण यह है की नमक में दो घटक होते हैं,सोडियम और क्लोरीन | इन दोनों घटकों के मिलने पर ही नमक बनता है | रक्त में भी सोडियम की मात्रा 315 से 340 मिग्रा प्रतिशत तथा क्लोरीन की 570 से 620 मिग्रा प्रतिशत पायी जाती है | निम्न रक्तचाप बढ़ाने में सोडियम आयन का महत्वपूर्ण योगदान होता है क्लोरीन का नहीं | क्लोरीन की मात्रा रक्त में बढ़ने से शरीर से कुछ उत्सर्जी पदार्थों का निष्कासन रुक जाता है | जिससे वृक्क की सूक्ष्म नलिकाएं रुंध जाती है और नेफ्राइटिस होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं| वैसे भी जहाँ-जहाँ शहरों व कस्बों में नगरपालिका द्वारा जल आपूर्ति की व्यवस्था है जल के क्लोरीनेशन के कारण क्लोरीन शरीर में पहुँचती रहती है | इस कारण नमक के स्थान पर ऐसे पदार्थों के सेवन की आवश्यकता है जिनमे सोडियम हो पर क्लोरीन नहीं |
प्राकृतिक खाद्य पदार्थों से सोडियम की प्राप्ति सबसे बेहतर -
कुछ प्राकृतिक खाद्य पदार्थ जैसे फल विशेषकर लीची और खरबूज में प्रति 100 ग्राम फल में 125 व 105 मिग्रा सोडियम पाया जाता है | अंडे की सफेदी में भी काफी मात्रा में सोडियम रहता है तथा दुग्ध,दुग्ध पदार्थ,दुग्ध चूर्ण में भी काफी सोडियम रहता है | मक्खनियां दूध में दूध से कहीं अधिक सोडियम रहता है क्योंकि केवल एक कप मक्खन निकला हुआ दूध पीने से 250 मिग्रा सोडियम मिल जाता है | मक्खनिया दूध से बने पनीर में 1750 मिलीग्राम /100 ग्राम तक पाया जाता है | इसके अतिरिक्त मांसाहारी पदार्थ जैसे गोश्त व मछलियों में प्राकृतिक रूप से बहुत सा सोडियम होता है |
क्लोरीन विहीन सोडियम लवण नमक से कहीं बेहतर यद्यपि सेवन व्यावहारिक नहीं ?
खाद्य निर्माता व्यंजन बनाने में कुछ पदार्थ जैसे खाने का सोडा परिरक्षक पदार्थ जैसे सोडियम सल्फाइट,सोडियम नाइट्राइट,खाद्य पदार्थ डालते हैं,जिनके सेवन से सोडियम प्राप्त हो सकता है |
सोडियम सोर्बिट्रेट या व्यंजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए सोडियम ल्युटामेट उपयोग करते हैं जिनके सेवन से सोडियम प्राप्त हो सकता है | यह पदार्थ है बिस्कुट,केक,डबल रोटी,रस्क,पेस्ट्रीज़,कन्फेक्शनरी,जैम,जेली,रस,अचार, पर चूंकि इनमे पोषक तत्वों का आभाव सा रहता है प्रतिदिन इनको आहार के रूप में सेवन करने की सलाह नहीं दी जा सकती है केवल कभी-कभी ही इन व्यंजन का सेवन किया जा सकता है |
(4) पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन- पौष्टिक प्रोटीन युक्त पदार्थों का सेवन ,सूखे मेवे,खजूर,शहद,मिश्री मिश्रित दूध,निशास्ता,सोयाबीन,खीर आदि खाने से भी न्यून रक्तचाप को दूर करने में सहायता मिलती है |
(5) आयुर्वेद टॉनिक का उपयोग - इनमे मुख्य है मकरध्वज,नवजीवन रस,कस्तूरी भैरव,मृतसंजीवनी सुरा,द्राक्षासव व बादाम पाक |
(6) दिनचर्या में सुधार -
इसके लिए पोषक एवं सुपाच्य आहार और शारीरिक व मानसिक विश्राम ज़रूरी है | अधिक देर तक खड़े रहना,गर्म पानी से नहाना,गर्म वातावरण में रहने से रोग में वृद्धि होती है | इस कारण ऐसा नहीं करना चाहिए |
बाजार में इस रोग के लिए कई औषधियां जैसे मैफिटिन,कोरामिन,एफिड्रिन व कारवासिमटोन आदि उपलब्ध है पर उपचारक की सलाह के बिना नहीं लेना
चाहिए |
At AyurvediyaUpchar, we are dedicated to bringing you the ancient wisdom of Ayurveda to support your journey toward holistic well-being. Our carefully crafted treatments, products, and resources are designed to balance mind, body, and spirit for a healthier, more harmonious life. Explore our range of services and products inspired by centuries-old traditions for natural healing and wellness.
आयुर्वेदीय उपचार में, हम आपको आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान को समग्र कल्याण की ओर आपकी यात्रा में सहायता करने के लिए समर्पित हैं। हमारे सावधानीपूर्वक तैयार किए गए उपचार, उत्पाद और संसाधन स्वस्थ, अधिक सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। प्राकृतिक उपचार और कल्याण के लिए सदियों पुरानी परंपराओं से प्रेरित हमारी सेवाओं और उत्पादों की श्रृंखला का अन्वेषण करें।