मूली
आज के युग में मनुष्य अस्पतालों तथा अंग्रेजी दवाइयों की दुनिया मेंइतना खो गया है की उसे अपने आसपास बहुतायत में उपलब्ध होने वाली उन साग-सब्जियों कीध्यान देने का समय ही नहीं मिलता,जो बिना किसी हानि के हमारी अनेक बीमारियों को निर्मूल करने में सक्षम है| प्रकृति हमारे लिए शीत-ऋतू में इस प्रकार की साग-सब्जियां उदारतापूर्वक उत्पन्न करती है ,इन्ही में एक विशेष उपयोगी वस्तु है मूली |
मूली में प्रोटीन,कैल्शियम,गंधक,आयोडीन तथा लोहतत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं | इसमें सोडियम,फास्फोरस,क्लोरीन तथा मैग्नीशियम भी हैं | मूली विटामिन “ए” का खजाना है | विटामिन “बी” और “सी” भी इसमें प्राप्त होते हैं | हम जिसे मूली के रूप में जानते हैं | वह धरती के नीचे पौधों की जड़ होती है | धरती के ऊपर रहने वाले पत्ते मूली से भी अधिक पोषक तत्व से भरपूर होते हैं | सामान्यतः हम मूली को खा कर उसके पत्तों को फेक देते हैं | यह गलत है ऐसा नहीं करना चाहिए | मूली के साथ ही उसके पत्तों का भी सेवन करना चाहिए | मूली के पौधे में आने वाली फल्लियाँ - मोगर भी समान रूप से उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक हैं | सामान्यतः लोग मोटी मूली पसंद करते हैं | कारण उसका अधिक स्वादिष्ट होना है | परन्तु स्वास्थ्य तथा उपचार की दृष्टि से छोटी-पतली और चरपरी मूली ही उपयोगी हैं | ऐसी मूली त्रिदोष (वात,पित्त और कफ ) नाशक है | इसके विपरीत मोटी और पक्की मूली त्रिदोषकारक मानी गयी है |
उपयोगिता की दृष्टि से मूली बेजोड़ है | अनेक छोटी-बड़ी व्याधियां मूली से ठीक की जा सकती हैं | मूली का रंग सफ़ेद है,परन्तु यह शरीर को लालिमा प्रदान करती है | भोजन के साथ या भोजन के बाद मूली खाना विशेष रूप से लाभदायक होता है | मूली और इसके पत्ते भोजन को ठीक प्रकार से पचाने में सहायता करते हैं | वैसे तो मूली के पराठे,रायता,तरकारी,अचार अनेक स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं ,परन्तु सबसे अधिक स्वादिष्ट है कच्ची मूली | भोजन के साथ प्रतिदिन मूली खा लेने से व्यक्ति अनेक बीमारियों से मुक्त रह सकता है |
मूली सौन्दर्यवर्धक भी है | इसके प्रतिदिन सेवन से रंग निखरता है,खुश्की दूर होती है,रक्त शुद्ध होता है और चेहरे की झांइयां ,कील मुहांसे आदि साफ होते हैं | नीबू के रस में मूली का रस मिलाकर लगाने से चेहरे का सौंदर्य निखरता है | सर्दी-जुकाम तथा कफ खांसी में भी मूली फायदा पहुँचाती है | इन रोगों में मूली के बीज का चूर्ण विशेष लाभदायक होता है | मूली के बीजों को उसके पत्तों के रस के साथ पीसकर लेप किया जाए तो अनेक चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है | मूली के रस में तिल्ली का तेल मिलाकर और उसे हल्का गर्म कर के कान में डालने से कर्ण नाद,कान का दर्द तथा कान की खुजली ठीक होती है | मूली के पत्ते चबाने से हिचकी बंद हो जाती है | मूली के सेवन से अन्य अनेक रोगों में भी लाभ मिलता है जैसे -
मूली और इसके पत्ते तथा जिमीकंद के कुछ टुकड़े एक सप्ताह तक कांजी में डाले रखने तथा उसके बाद उसके सेवन से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है और बवासीर रोग नष्ट हो जाता है | हल्दी के साथ मूली खाने से भी बवासीर में लाभ मिलता है |
मूली के पत्तों के चार तोले रस में तीन माशा अजमोद का चूर्ण और चार रत्ती जोखार मिलाकर दिन में दो बार नियमित एक सप्ताह तक लेने पर गुर्दे की पथरी गल जाती है |
एक कप मूली के रस में एक चम्मच अदरक का और एक चम्मच नीबू का रस मिलाकर नियमित सेवन करने से भूख बढ़ती है और पेट सम्बन्धी सभी रोग नष्ट होते हैं |
मूली के रस में समानं मात्रा में अनार का रस मिलाकर पीने से रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ता है और रक्ताल्पता रोग दूर होता है |
सूखी मूली का काढ़ा बनाकर उसमे जीरा और नमक डालकर पीने से खांसी और दमा में राहत मिलती है |
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