घरेलु नुस्खे
सरलतापूर्वक प्रसव के लिए - हींग भूनकर चूर्ण बना लें,चार माशा शुद्ध गो - घृत में मिलाकर खिलाने से सरलतापूर्वक प्रसव होने में सहायता मिलती है | इसके अतिरिक्त एक तोला राई के चूर्ण में भुनी हुई हींग का चूर्ण मिलाकर गरम जल के साथ सेवन करने से मूढगर्भ आसानी से बाहर आ जाता है |
पेशाब की जलन - ताजे करेले को महीन काट लें | पुनः उसे हाथों से भली प्रकार मल दें | करेले का पानी स्टील या शीशे के पात्र में इकठ्ठा कर लें | वही पानी पचास ग्राम खुराक बनाकर तीन बार पीने से पेशाब की जलन शांत हो जाती है |
पेशाब में शक्कर - जामुन की गुठली सुखाकर महीन पीस डालें और उसे महीन कपडे से छान लें | अठ्ठनी भर प्रतिदिन तीन बार ताजे जल के साथ लेने से पेशाब के साथ चीनी आनी बंद हो जाती है | और इसके अतिरिक्त ताजे करेले का रस दो तोला नित्य पीने से भी उक्त रोग में भी लाभ होता है |
सर्प काटने पर - नीम का बीज,काली मिर्च एवं लाल रंग वाला सेंधा नमक बराबर मात्रा में पीसकर एक तोला लेकर शुद्ध गौ -घृत के साथ लेने से सर्प का विष निश्चित रूप से उतर जाता है |
सर्प काटने की पहचान - यदि सर्प काटने की आशंका है तो उसकी पहचान हेतु काटे हुए स्थान पर नीबू का रस लगा दें | यदि वह स्थान काला ( सांवला ) पड जाये तो यह समझ लें की सर्प ने काटा है अन्यथा सर्प ने नहीं काटा |
बिच्छू के काटने पर - शुद्ध शहद के साथ लाल मिर्च पीसकर डंक वाले स्थान पर लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है |
मष्तिष्क की कमजोरी - मेहँदी का बीज अठ्ठनी भर पीसकर शुद्ध शहद के साथ प्रतिदिन तीन बार सेवन करने से मष्तिष्क की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति ठीक होती है तथा सिरदर्द में भी आराम मिलता है |
अधकपारी का दर्द - तीन रत्ती कपूर तथा मलयगिरि चंदन को गुलाबजल के साथ घिसकर नाक के द्वारा खींचने से अधकपारी का दर्द अवश्य समाप्त हो जाता है |
खुनी दस्त- दो तोला जामुन की गुठली को ताजे पानी के साथ पीसकर ,चार-पांच दिन सुबह एक गिलास पीने से खुनी दस्त बंद हो जाता है | इसमें चीनी या अन्य कोई पदार्थ नहीं मिलना चाहिए |
जुकाम - एक पाव गाये का दूध गर्म करके उसमे 12 दाना काली मिर्च एवं एक तोला मिश्री - इन दोनों को पीसकर दूध में मिलाकर सोते समय रात को पी लें | पांच दिन में जुकाम बिलकुल ठीक हो जाएगा अथवा एक तोला मिश्री एवं आठ दाना काली मिर्च ताजे पानी के साथ पीसकर गर्म करके चाय की तरह पियें और पांच दिन तक स्नान न करें |
मंदाग्नि - अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर के नीबू के रस में डालकर और नाम मात्र का सेंधा नमक मिलाकर शीशे के बर्तन में रख दें | पांच-सात टुकड़े नित्य भोजन के साथ सेवन करें | मंदाग्नि दूर हो जाएगी |
प्रसूत के लिए - एक छटाक नए कुशा की जड़ चावल के धुले हुए एक ग्लास में पानी में पीसकर कपडे से छान लें | इस जल को सुबह,दोपहर एवं शाम को पिलाने से अवश्य लाभ होता है |
उदर -विकार - अजवाइन,काली मिर्च एवं सेंधा नमक - इन तीनों को एक में ही मिलाकर चूर्ण बना लें | ये तीनो बराबर मात्रा में होना चाहिए | उक्त चूर्ण को प्रतिदिन नियमित रूप से रात को सोते समय गर्म जल के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के उदर -रोग दूर हो जाते हैं |
खूनी बबासीर -कई लोगों ने आजमाया प्रातः काल शौंच के पूर्व शुद्ध जल पी लें,फिर शौंच जाएँ और शौंच के बाद गुदा धुलने के बाद तुरंत शुद्ध मृत्तिकाका गुदा में लेपन करें,१-२ मिनट बाद गुदा धो लें,कुछ ही दिनों में खूनी बवासीर से मुक्ति मिल जाएगी | प्रयुक्त मिट्टी सूर्यतापी,शुष्क एवं शुद्ध स्थान की हो |
रक्त-प्रदर - कंटीली चौलाई की जड़,रसौत,सौंठ,भारंगी तथा पिप्पली -को समभाग से चूर्ण बनाकर शीशी में भर दें | इसकी तीन-तीन ग्राम मात्रा शहद से चाटकर ऊपर से चावल का पानी पीने से मात्र तीन-चार दिनों में ही लाभ मिलेगा |
उदर शूल - अजवायन और सेंधा नमक की सममात्रा का चूर्ण 8-10 ग्राम लेकर गरम जल से लें,बहुत जल्दी उदरशूल समाप्त हो जाएगा |
खांसी की दवा - अडूसा के फूल सौ ग्राम,एक किलो पानी में गरम कर के उबालें | जब 200 ग्राम पानी शेष रह जाए तब ठंडा कर के प्रातः - साये शहद के साथ सेवन करें |
बवासीर की दवा - घमिरा को पीसकर साफ़ कपडे में टोली बनाकर,असली घी को तवे में डालकर पोटली को तवे में गरम कर के बवासीर को सेंके |
रतोंधी - पीपर को घिसकर गोमय के रस के साथ आँख में लगाने से रतोंधी दूर हो जाती है |
रूसी - सिर में रुसी हो जाती है तो प्रायः अनेक उपचारों से ठीक नहीं हो पाती | बालों पर श्वेत अथवा मटमैले रंग के अत्यंत सूक्ष्म पत्रक चिपके रहते है अथवा कंघी से झड़ते रहते हैं | अनेकों उपचारों से यह रोग जड़ से नहीं मिटता है| निम्न चिकित्सा अपनाना चाहिए - (क) किसी भी प्रकार के साबुन का उपयोग सिर,चेहरे तथा गर्दन पर बंद कर दें |
(ख) 10-15 दिन सिर को रीठे के पानी या शिकाकाई से धोना चाहिए |
(ग) इसके बाद दही के मथित से सिर के बालों में भलीभांति अभ्यंग कराया जाए यह क्रिया 100 दिन तक करें |
(घ) मस्तक , चेहरे और गर्दन को स्नान से पूर्व गिलीसरीन तथा गुलाबजल समभाग लेकर चुपड़कर 5 मिनट बाद धोना चाहिए | उसके बाद दही के मथित से सिरका अभ्यंग करें | इस विधि के प्रयोग से परिणाम अच्छा होता है |
कुकुरखांसी - इसमें केले के पत्ते की राख बनाकर शरद ऋतु में शहद के साथ तथा ग्रीष्म ऋतू में नमक मिलाकर चटावे |
पथरी - पथरी में पपीते की जड़ 6 माशा ,1 छटाक जल के साथ पीसकर छानकर प्रातः २१ दिन पीने से पथरी गल कर निकल जाती है |
सुखंडी रोग - बच्चों के सुखंडी रोग पर निम्न औषध का सेवन करें - स्वर्णमालिनी वसंत ⅛ रत्ती,प्रबाल पिष्टी 1 रत्ती,जहरमोहरा पिष्टी 1 रत्ती | सुबह शाम दोनों समय एक-एक खुराक शहद के साथ चटावे |
सूखारोग-बाल-सूखारोग होने पर - (क) काली गौ का मूत्र लेकर फिलटर करें और एक बोतल में डाल दें | 1 तोला असली काश्मीरी केशर लेकर उसमे हलकर देवे | प्रातः साये 1 तोला बच्चे को प्रयोग कराएं |
(ख) वंशलोचन,अतीस मीठा,पीपल बड़ी,छोटी इलायची के दाने,नागर मोथा,रूमी मस्तगी 1-1 तोला मिबि ६ माशा - सब औषधियों का चूर्ण कर के शीशी में भर लें | २ रत्ती की मात्रा में मधु से दिन में तीन बार दें | गौ का दूध पीने के लिए दें |
गुण - सूखारोग,अतिसार,वमन,अफारा,पेट की ऐठन,मरोड़ आदि समस्त बाल-रोग दूर करता है |
त्रिफला कल्फ - हरड़,बहेड़ा,आंवला समभाग चूर्ण त्रिफला है -
त्रिफला चूर्ण 3 ग्राम में 1 ग्राम तिल - तेल तथा 6 ग्राम मधु मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय ले इससे पेट और धातु के समस्त रोग दूर हो जाते हैं |
ततैया का विष - ततैया के काटने पर पीले कागज को पानी में भिगोकर लगावे या नौसादर तथा चूना मिलाकर मल दें |
मकड़ी का विष - मकड़ी के विष पर नीबू के रस में चूना पीसकर लगा दें |
प्रसव कष्ट - भैंस के गोबर का रस 2 तोला लेकर,भैंस के पाव भर दूध में मिलाकर पिलाने से प्रसवकष्ट तथा मूढगर्भ में सत्वर लाभ होता है |
मस्से पर - मुखमंडल,हाथ-पैर आदि स्थानों पर मस्से हो जाने पर चूना तथा सफ़ेद सज्जी बराबर मात्रा में मिलाकर साबुन के पानी में गलाकर मस्से के ऊपर रोज़ रखें | 2-3 दिन में ही मस्सा कटकर गिर जायेंगे ,किन्तु उस स्थान पर हल्का काला दाग पड जाता है |
टांसिल बढ़ने या गला दर्द होने पर - गर्म पानी में फिटकरी,नमक डालकर गरा
रे करने से शीघ्र लाभ होगा
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