"हम और हमारा भोजन – आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से आहार का महत्व"

May 03, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"हम और हमारा भोजन – आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से आहार का महत्व"

हम और हमारा भोजन


प्रकृति ने जैसे ही धरती पर प्राणी को जन्म दिया वैसे ही उस जीवन की रक्षा के साधन भी साथ ही पैदा कर दिये थे। इस जीवन की रक्षा का सबसे बड़ा साधन है, हमारा भोजन, जिसका प्रबंध स्वंय प्रकृति ही करती है। जो लोग प्रकृति की शक्ति को नहीं मानते वे कभी सुख नहीं पा सकते।


प्रकृति की शक्ति तो हमें उसी समय देखने को मिल जाती है। जब मां के गर्भ में ही जन्म देने वाले बच्चे के खाने का प्रबंध प्रकृति की ओर से किया जाता है।


क्या आप जानते हैं कि-


जैसे ही बच्चे का जन्म होता है ठीक उसी समय उसकी मां की छातियों में दूध आ जाता है। बच्चा इन्सान का हो या फिर पशु-पक्षियों, जीव जन्तुओं के सबके लिये प्रकृति का नियम एक ही है।


जैसे ही बच्चा बड़ा होने लगता है मां के दूध की मात्र अपने आप कम होने लगती है, और उसका स्थान भोजन या फल और सब्जियां ले लेती हैं। इनकी खाने के लिये बच्चो के मुहं में दांत आने लगते हैं-


यह जीवन तो धूप-छांव है इसमें सुख दुःख तो आते ही रहते हैं परन्तु प्रकृति ने हमें ऐसा कोई दुख नहीं दिया यदि उसकी ओर से कोई दुःख दिया भी गया है तो उसका उपचार भी साथ में ही पैदा किया है। भले ही इन्सान इस बात को नहीं समझता परन्तु यह तो एक अटल सत्य है। जिसे समझने में इन्सान भूल कर जाता है।


यह बात आप सब को याद रखनी चाहिए कि भोजन स्वस्थ्य जीवन का आधार है, खाने का ही प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है किसी ने ठीक ही कहा है कि


"जैसा अन्न-वैसा ही मन"


"हमारे शरीर का प्राकृतिक ढांचा ही इस प्रकार से बनाया गया है कि हम जो कुछ भी खाते हैं उसका प्रभाव हमारे पूरे शरीर पर पड़ता है। दुःख की बात तो यह है कि लोग कपड़ों मकानों और बाहरी सुन्दरता का ही पूरा - पूरा ध्यान रखते हैं परन्तु इस अनमोल शरीर के बारे में कभी नहीं बीच कभी उन्होने यह कल्पना भी नहीं की कि-


जो लोग अच्छी फसल पैदा करना चाहते हैं वे सब से पहले अपने खेत को अच्छा बनाते हैं। फसल बोने से पहले किसान जमीन में हल चलाते है, अच्छा बीज ढूंढ कर लाते हैं, जब फसल उगने लगती है, उस में पानी दिया जाता है, खाद डाली जाती है, समय-समय पर उसकी गुढ़ाई करके उसमे उगने वाली घास को साफ किया जाता है, ताकि वह फसल को फलने फूलने से कोई रोक न सके।


एक साधारण किसान इस बात को अच्छी तरह जानता है कि फसल की रक्षा कैसे की जाती है। उसके पालन-पोषण के लिये क्या-क्या उपाय करने हैं।


एक इन्सान ऐसा क्यों नहीं सोचता कि उसे अपनी शरीर की रक्षा कैसे करनी है ? इसका परिणाम क्या होता है ? प्रकृति ने हमें जो जीवन दिया है उसे हम अपने ही हाथों से नष्ट कर देते हैं और इस विषय में हमारा बिगड़ता-स्वास्थ्य हमें मृत्यु के कगार तक ले जाता है।


जब हम जीवन की इस बाजी को हार जाते हैं तो डाक्टरों के पीछे भागते हैं, तो फिर तो यह धन का खजाना भी आपके काम नहीं आता। जिस धन को कमाने के लिये आपने अपना सब कुछ गवां डाला वह बजीरियों में बंद पड़ा आपका मजाक उड़ा रहा होता है, आपके पागलपन पर हंस रहा होता है।


आज के इन्सान कहां समझते हैं स्वास्थ्य की कीमत । वे तो जवानी के नशे में ऐसे अंधे हो जाते हैं कि उन्हें चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आती है और इसी कारण वे भूल जाते हैं कि जवानी के बाद जब बुढ़ापा आता है तो इन्सान थक कर टूटने लगता है जो सपने उसने जवानी में देखे होते हैं वे बिखरने लगते हैं।


"कौन साथ देता है, ऐसे अवसर पर" ?


जिन लोगों के लिये आपने अपना सब कुछ खो दिया होता है वही लोग आप से दूर भागने लगते हैं, आपको यदि कोई घातक रोग आकर घेर लेता है तो वे लोग आप से इस लिये दूर भाग जाते हैं ताकि यह रोग उनको न लग जाए।

क्या आप रोगों से बच सकते हैं यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर आम आदमी के लिए शीघ्र देना बहुत कठिन है क्योंकि आजकल रोग तो इतने अधिक बढ़ गए हैं कि उनकी गणना ही नहीं की जा सकती। इसलिये उन से बचने की बात कैसे की जाए। रोग को बढ़ने से रोकने की बात तो उसके पैदा होने से पहले ही रोक दी जाए यही उसका सब से बड़ा उपचार माना जाता है।


अब प्रश्न यह उठता है कि उसे रोका कैसे जाए? रोग रोकने के लिये प्रकृति के अनमोल खजाने भरे पड़े हैं। काश कोई इन खजानों की खोल कर तो देखें।


कुछ लोग सोच में पड़ जाएंगे कि इन खजानों के अंदर जो कुछ भरा पड़ा है। उसकी चाबी तो उनके पास है ही नहीं, जब तक उनके पास चाबी नहीं होगी जब तक ताला नहीं खुलेगा। ताला नहीं खुलेगा तो इस खजाने का उपयोग कहां से किया जाएगा।


अब हर इन्सान की उस चाबी की जरूरत है बिना चाबी के तो यह सब कुछ बेकार है जो चीज किसी के काम ही नहीं आ सकती, वह तो मिट्टी है। मिट्टी, खजाने में बंद पड़ा सोना भी तो मिट्टी से कम नहीं होता और कई बार आदमी मिट्टी की भी सोने में बदल देता है यह सब बुद्धि की बातें हैं।


इस पुस्तक में आपको जो कुछ दिया जा रहा है वह तो एक चाबी है, यह चाबी है स्वास्थ्य के खजाने की। इसमें आपको एक ऐसा खजाना मिलेगा जिसके अंदर आपका सच्चा जीवन छुपा हुआ है, क्या आपने कभी सोचा है कि भारतीय जड़ी-बूटियों तथा फलों-फूलों द्वारा हम सारे मानव रोगों का उपचार कर सकते हैं। हमने जिन चीजों को साधारण समझ कर फेंक रखा होता है, वास्तव में वे काफी गुणकारी तथा लाभदायक होती हैं उनमें से बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं, जो हमारी सेहत को सदा ठीक रख सकती हैं, हम उनके सहारे सौ वर्ष तक जीवित रह सकते हैं।


हमारी आयु तो लम्बी होती ही है। इसके साथ-साथ हमारा शरीर भी निरोग हो जाता है और जो कार्य हम लाखों रूपये खर्च करके भी पूरा नहीं कर पाते वह थोड़े से धन में ही पूरा हो जाता है।

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