ह्रदय रोग
हमारे शरीर में स्थित मुट्ठी के आकार का ह्रदय एक मिनट में 70 बार धड़कता है और एक घंटे में ३०० लीटर रक्त शरीर के अंग प्रत्यंग में प्रसारित करता है | ह्रदय का मुख्य कार्य रक्त को शुद्ध कर के शरीर के प्रत्येक हिस्से में रक्त की आपूर्ति करना है | जब रक्तप्रवाह में रुकावट आती है तो ह्रदय को अपना कार्य करने में कठिनाई होती है। रक्तप्रवाह में अवरोध आने के कारण कुछ मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं,जिससे तीव्र वेदना होती है और अन्य लक्षण उत्पन्न होते हैं|स्वयं ह्रदय को दो छोटी-छोटी धमनियों से थोड़ा रक्त मिलता है | यदि इन धमनियों में कोई रुकावट पैदा हो गयी तो खतरनाक स्थिति हो जाती है | यह रुकावट रक्तवाहिनी नालिकाओं की दीवारों के सिकुड़कर मोटा पड़ जाने,रक्त के थक्के बनने के कारण होता है | इस विकृति के कारण कई प्रकार के ह्रदय रोग उत्पन्न हो जाते हैं - (1) ह्रदयाघात (2) हृदयशूल (3) ह्रदयदौर्बल्य (4) रक्तभारवृद्धि (5) ह्रदयकपाटी (6) ह्रदय-अन्तःशोथ (7) ह्रदय - अवरोध आदि|
सुरक्षात्मक उपाय
प्रातः उठकर तांबे के बर्तन में रखा पानी पियें,भोजन के बीच में बार-बार पानी न पियें,भोजन के आधे घंटे बाद यथेच्छ पानी पीना चाहिए | प्रतिदिन कम से कम तीन लीटर पानी पीने से शरीर के दूषित तत्व पसीने एवं मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते हैं|
संतुलित भोजन करें | धूम्रपान,मांसाहार तथा गरिष्ठ भोजन का पूर्णतया त्याग कर दें| शाकाहारी,पौष्टिक,सुपाच्य,वसारहित और ताज़ा बना हुआ भोजन शरीर के लिए हितकर है|
निश्चित समयपर दिन में तीन बार उतनी ही मात्रा में भोजन करें,जितना आवश्यक हो| अधिक भोजन करने से गैस बनती है,पाचनतंत्र को अतिरिक्त श्रम करना पड़ता है और शरीर को इससे लाभ कुछ नहीं होता | रात का भोजन सोने से लगभग दो घंटा पहले करें |
प्रौढ़ावस्था आने के बाद वसायुक्त पदार्थ - घी,दूध,दही,तेल,मक्खन आदि का प्रयोग कम से कम करें | सोयाबीन,मूंगफली उपयोग में लाना चाहिए |
हरी सब्जी- पालक,मेथी,बथुआ,धनिया तथा मूली,लौकी,पपीता परवल,गाजर,टमाटर,संतरा,बंदगोभी,अदरक,खीरा आदि स्वास्थ्य के लिए उत्तम है | इनका कच्चे रूप में सलाद बनाकर अथवा रस निकालकर सेवन करते हैं |
चाय,काफी,धूम्रपान,शराब एवं अन्य मादक द्रव्यों को विषतुल्य समझें | इनके सेवन से ह्रदय रोग के साथ अन्य रोग भी हो जाते हैं।
नमक का प्रयोग कम से कम करें। पापड़,चटनी,अचार,नमकीन आदि से परहेज़ करें ,क्योकि इनमे भी नमक की मात्रा अधिक होती है | दाल का प्रयोग भी कम करें,यह वायुकारक होती है | मूंग और चने की दाल छिलके सहित प्रयोग कर सकते हैं यदि ये अंकुरित हो तो और अच्छा है |
ताजे हरे आंवले अधिक से अधिक सेवन करें | इसकी चटनी भोजन के साथ लें | प्रातः दो आंवले का रस शहद मिलाकर खाली पेट लें | सूखे आंवले का चूर्ण लेना भी उत्तम है |
मलाई उतारे दूध के बने मठ्ठे में अजवाईन और काला नमक डालकर नियमित रूप से सेवन करें |
सप्ताह में एक दिन का पूर्ण उपवास रखें | इस दिन केवल फलों का रस या नीबू पानी लें|
ह्रदय रोग से बचने के लिए सूर्यनमस्कार तथा योगासन,ध्यान और प्राणायाम बहुत उपयोगी हैं | प्रतिदिन कुछ समय इसमें लगाने से सदैव स्वस्थ रहा जा सकता है | वज्रासन,पवनमुक्तासन,शलभासन,मयूरासन,सर्वांगासन,शवासन नियमित रूप से करना चाहिए |
अत्यधिक गर्मी एवं ठंडक से शरीर को बचाएं | सामर्थ्य से अधिक परिश्रम न करें की दम फूलने लग जाए | शरीर को जितना सहन हो उतना ही परिश्रम करें |
किसी भी प्रकार का मानसिक तनाव,पारिवारिक कलह,दोहरी जीवनशैली बचने का हर संभव प्रयास करें | यह ह्रदय के रोग के प्रमुख कारणों में से एक है |
अधिक साहसी व सहनशील न बने | थकावट होने पर या दर्द होने पर आराम करें | समय-समय पर स्वास्थ्य परिक्षण कराते रहें |
रात्रि को सोते समय दिनभर की समस्या से अपना ध्यान हटा लें | यह निश्चय कर लें की इस समय मुझे और न तो कुछ करना है न सोचना है|
यह सिद्धांत बना लें की जो भी करेंगे स्वास्थ हित में करेंगे |
आयुर्वेदिक मुख्य उपचार - (1) प्रातः 11 एकपुटिया लहसुन 250 ग्राम दूध में उबालें | एक छटाक दूध बचा रहे तो छान लें और लहसुन खा कर दूध पी लें |
(2) दोपहर के भोजन के बाद दो चम्मच अर्जुनारिष्ट समान जल से लें तथा अर्जुन के छाल का चूर्ण 5 ग्राम शहद के साथ लें |
(3) हरेंका चूर्ण 2 चम्मच रात को सोते समय लें |
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