उच्च रक्त चाप (high blood pressure )
उच्च रक्तचाप का आयुर्वेदिक नाम शिरागत वात है| रक्त वाहनियों तथा धमनियों पर रक्त का अधिक दवाव पड़ना और उनका कठोर हो जाना शिरागत वात है |
सामान्यतः रक्तचाप 120/80 मि.मी.पारा होता है इसमें 10मि.मी. पारे की घटत बढ़त भी सामान्य ही समझना चाहिए|
यह 2 प्रकार का होता है -
(1) उच्च रक्त चाप ( HIGH B.P.)
(2) न्यून रक्त चाप ( LOW B.P.)
यहाँ पर उच्च रक्त चाप पर विचार किया जा रहा है -
सम्प्राप्ति -मनुष्य का हृदय लगभग सात तोला रक्त एक बार के संकोचन के समय धमनी में फेकता है इससे पहले भी धमनी में रक्त पूर्ण रूप से भरा रहता है | धमनी में अतिरिक्त रक्त के फेकें जाने से धमनियों में दबाव पड़ता है और उनकी दीवारें फैल जाती है | यह धमनियों की संकुचन शीलता के कारण ही संभव हो सकता है | दूसरा परिणाम रक्त के कारण धमनियों में एक लहर पैदा होती है जो प्रारम्भ में बहुत प्रबल होती है और धीरे धीरे कोशिकाओं में पहुंचने से पहले अदृश्य हो जाती है | धमनी जितनी कठोर होगी लहर उतनी ही तीव्र गति से चलेगी ,जितनी संकुचन शीलता होगी उतनी ही धीमी गति से चलेगी |
उच्च रक्त चाप के लक्षण - (1) रोगी के सिर में विशेषकर सिर के पीछे की और कनपटियों अर्थात कान के पीछे के भाग में दर्द होता है | यह सिर दर्द कभी कम कभी अधिक होता है| सिर दर्द की दवाई लेकर भी दर्द कम न हो यह प्रमुख लक्षण है |
(2) रोगी को सुबह और शाम को चक्कर आने लगता है |
(3) हृदय की गति अधिक हो जाती है और दर्द भी महसूस होता है |
(4) रोगी का कार्य में मन नहीं लगता वह स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है और थोड़ा सा कार्य करने थकान हो जाती है |
(5) रोगी की स्मरण शक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है |
(६) रोगी को निद्रा कम आती है और आती भी है तो टूट-टूट कर आती है |
(7) मंदाग्नि हो जाती है अर्थात भूख कम लगती है और खाने में अरुचि होने लगती है |
(8) पेशाब की मात्रा कम होने लगती है जांच करवाने पर पता चलता है की पेशाब में शक़्कर अथवा यूरिक एसिड बढ़ जाता है |
(9) उच्च रक्त चाप होने पर नाक और शरीर के अन्य अंगो से रक्त स्त्राव होने लगता है |
(10) मल आदि का अनियमित त्याग और उसमे बदबू आने लगती है|
कारण - (1) किडनी में काफी दिनों से निरंतर तीव्र संक्रमण |
(2) किडनी का पथरी ग्रस्त होना |
(3) जन्म से महाधमनी का संकुचित होना |
(4) दिमाग में ट्यूमर होना |
(5) थायराइड की बीमारी होने से भी रक्त चाप बढ़ सकता है |
(6) HIGH BP वंशागुनत बीमारी भी है |
(7) मानसिक तनाव एवं चिंता |
(8) घी,मक्खन,मलाई,डालडा,मांस,मछली तथा चीनी और मैदा जैसे खाद्य पदार्थ खाने से कोलेस्ट्राल बढ़ता है जो जमकर रक्त संचार में बाधा उत्पन्न करता है जिससे उक्त रक्त चाप हो सकता है |
(9) अधिक धूम्रपान एवं शराब पीने से |
(10) व्यायाम न करने से |
(11) मधुमेह रोग पुराना होने पर HBP को आमंत्रण दे सकता है |
आयुर्वेदिक चिकित्सा - अधिकांशतः डॉक्टर यह कहते हैं कि उच्च रक्त चाप का इलाज ज़िंदगी भर चलता है परन्तु यदि उच्च रक्त चाप रोग को जन्म देने वाले कारण या बीमारी को खत्म क्र दिया जाये जिसकी वजह से उच्च रक्त्चाप हुआ है तो उच्च रक्त चाप की बीमारी हमेशा के लिए खत्म की जा सकती है यदि इस होने वाली बीमारी का कारण समझ नहीं आता है तो HIGH BP से मुक्ति दिलाना संभव नहीं है |
लौकी का रस आधा कप में आधा कप पानी मिलाकर दिन में तीन बार खाली पेट पीने से HBP समाप्त होता है |
केले के तने का रस आधा कप नियमित कुछ दिनों तक पीने से HBP में लाभ मिलता है |
एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर नियमित सुबह पीने से उच्च रक्तचाप समाप्त होता है|
छाछ(मठा) भोजन के साथ दोनों वक़्त लेने से उच्च रक्त चाप,निम्न रक्त चाप दोनों में फायदा होता है |
दो चम्मच शहद में एक चम्मच नीबू का रस मिलाकर सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप कम होता है |
संतरे का रस पीने से उच्च रक्तचाप कम होता है यदि रोगी दो तीन दिन उपवास करे और इस बीच केवल संतरे का रस का सेवन करे तो उच्च रक्तचाप निश्चित ही सामान्य होता हो
अर्जुन( कोहा) की छाल का चूर्ण मिश्री के साथ खाने से उच्च रक्त चाप ठीक होता है एवं अर्जुन की छाल की चाय पीने से LOW BP ठीक होता है |
दालचीनी धुप में सुखाकर,पीसकर ½ चम्मच पाउडर ½ चम्मच शहद मिलाकर चाटें ऊपर से गर्म जल पिए |
केंथ का मज्जा( गूदा) एवं जामुन की गुठली का चूर्ण बनाकर रख लें,इसे सुबह शाम खली पेट एवं 1/2 -½ चम्मच सादे जल से लेने पर BP कण्ट्रोल होता है |
देशी गाय का ½ कप मूत्र स्वच्छ कपडे की 3 परतो में छानकर खाली पेट लेने से HBP एवं LBP दोनों ठीक होते हैं |
सर्प गंधा चूर्ण
शंखपुष्पी चूर्ण
जटामासी चूर्ण
अमल की रसायन
असगंध
चूर्ण बनाकर ½ चम्मच चूर्ण सुबह शाम खाली पेट सादे जल से लें|
(12) वृहद वात चिंतामणि रस - 1-1 गोली शहद के साथ दिन में 3 बार लें|
(13) योगेंद्र रस - 1-1 गोली मधु और अदरक के रस सुबह शाम लें |
अधिक सिर दर्द होने पर - वृहद चिंता मणि रस +सर्पगंधा चूर्ण दूध के साथ लें |
रोगी की विशेष अवस्था में - यदि सिर दर्द अधिक हो तो कपर्दिक भस्म + अकीक भस्म 1-1 तोला आंवले के मुरब्बे के साथ लें |
रात्रि में वृहद वात चिंतामणि रस और सर्पगंधा का चूर्ण मिलाकर दूध के साथ दें |
अनिद्रा हो तो सर्पगंधा चूर्ण + वृहद वात चिंतामणि रस दूध के साथ दें |
पित्त की प्रवति वालों को सर्पगंधा को प्रबाल पिष्टी मिलाकर दें |
रक्त चाप की अत्यधिक बढ़ी हुई अवस्था में पक्षाघात की सम्भावना रहती है अतः उच्चरक्त चाप की वृद्धि को पक्षाघात(लकवा) का संकेतक मान लेना चाहिए |
प्याज का रस 5 ग्राम में शुद्ध शहद बराबर मात्रा में लें इससे कोलोस्ट्राल कम होता है |
तरबूज के बीज का चूर्ण 3 ग्राम बराबर मात्रा में खसखस के साथ प्रातः एवं सांये खाली पेट लें |
3 ग्राम मैथी के दाने का चूर्ण सुबह शाम खाली पेट 15 दिन तक लेने से लाभ होता है |
खाना खाने के बाद कच्चे लहसुन की दो फांक टुकड़े कर के मुन्नका में लपेट कर खा लें |
गेंहू और चना बराबर मात्रा में मिलाकर पिसवाएं एवं बिना चोकर निकालें आटा का प्रयोग करें|
रात में तांबे के बर्तन में जल में 7 रुद्राक्ष डालकर रखें इसी जल को प्रातः पी लें|
चार- पांच तुलसी की पत्ती और दो नीम की पत्ती खाली पेट लें एवं खाली पेट पपीता एक माह तक लें |
कैसे भी रक्तचाप में तत्काल लाभ के लिए 100 ग्राम पानी में आधा नीबू रस निचोड़कर दिन में 3 बार दो-दो घंटे पीने से लाभ होता है |
रामबाण प्रयोग - 250 ग्राम ताज़ी हरी घीया छिलके सहित और 500 ग्राम पानी प्रेशर कुकर में दाल कर धीमी आंच में पकावें| सीटी बजने पर उतार क्र मसल कर छानकर बिना कुछ मिलाये सूप को प्रातः खाली पेट गर्म-गर्म लगातार 4-5 दिन पी लें | प्रतिदिन एक बार इसका प्रयोग करें| उच्च रक्तचाप को नियंत्रण करने वाला परीक्षित एवम रामबाण नुस्खा है |
बचाव - चाय,चीनी,काफी,मसाले, शराब,घी तथा अधिक नमक का सेवन न करें| नियमि
त व्यायाम करें | समय- समय पर उच्च रक्तचाप की जांच करवाते रहें |
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