रक्तचाप में वृद्धि
यदि आप उच्च रक्तचाप के जीर्ण रोगी हैं एवं नियमित रूप से एलोपैथी दवाएं लेनी पड़ती है तो साथ में निम्न प्रयोग भी करें स्थाई रूप में उच्च रक्तचाप से मुक्ति पा लेंगे
जटामांसी 300 ग्राम लेकर उसमें 30 हिस्से करें रात को 10 ग्राम जटामांसी 100 ग्राम पानी में भिगो दें प्रात मसलकर छान लें और दो चम्मच मधु मिलाकर पीवे' पथ्यापथ्य का ध्यान रखते हुए 60 दिन के सेवन द्वारा रोग से पूर्ण छुटकारा मिल जाएगा
--- अफरा .{Flatulence}. 3 ग्राम अजवाइन, 1 ग्राम काला नमक, आधा ग्राम सेंधा नमक ,मिलाकर गर्म पानी से दें तुरंत आराम मिलता है इसे आवश्यकता अनुसार लगातार प्रयोग भी किया जा सकता है
--- सर्दी जुकाम खांसी अदरक रस दो मिली, तुलसी रस एक मिली, शहद पांच मिली मिलाकर प्रत्येक 5 घंटे पर लें ऊपर से गुनगुना पानी लें 24 -48 घंटे में सर्दी- जुकाम ठीक हो जाता है अथवा देशी घी 10 ग्राम, अदरक रस 2 मिली, ढाई नग काली मिर्च, गुड़ 5 ग्राम पकाकर खाली पेट सुबह लगातार तीन दिनों तक लें अन्य किसी दवा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी
--- दांत दर्द-- आक का दूध और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रुई के फाहे में लगा कर दांत पर रखें कैसा भी दर्द हो गायब हो जाता है
--- दस्त ---दालचीनी तथा कत्था बराबर मात्रा में कुल डेढ ग्राम पीस लें और 10 ग्राम धान का लावा (खील) पीसकर सबको पानी में घोल लें ।चीनी तथा नमक अंदाज से मिलायें दस्त तुरंत बंद हो जाएंगे।
--- अनिद्रा--- आधे लीटर भैंस के दूध के साथ 5 ग्राम अश्वगंधा का चूर्ण नियमित रूप से लें अनिद्रा की अचूक दवा है।
--- बच्चों के दांत निकलते समय होने वाली उल्टी हरे पीले दस्त, दांत की तकलीफ सबको दूर करने के लिए तवे पर सुहागा का खील बनाएं फिर बारीक पीसकर शहद मिलाकर दांत निकलने वाले मसूड़े पर लेप करें बच्चा अंदर चाट जाएगा और उसकी तकलीफ दूर हो जाएगी ।
--- मासिक न आने पर 10 ग्राम मंगरैला (कलौंजी) का पाउडर सुबह पानी से लें गर्भणी इसका प्रयोग न करें किसी-किसी को इससे पेट में दर्द होता है तो थोड़ी मात्रा में हींग का प्रयोग करें ।
--- ज्वर में चिरायता का काढ़ा पिलाएं कैसा भी हो ज्वर उतर जाता है।
--- प्रवाहिका या रक्तातिसार में दो चार जपापुष्प पीसकर मिश्री के साथ चावल के पानी में घोल कर दें बहुत फायदा होता है
खांसी की दवा
अडूसा (सेहरूबा) के फूल 100 ग्राम 1 किलो पानी में गर्म करके उबालें जब 200 ग्राम पानी शेष रह जाए तब ठंडा करके प्रातः सायं शहद के साथ सेवन करें ।
बवासीर की दवा
घमिरा को पीसकर साफ कपड़े में पोटली बनाकर असली घी को तवे में डालकर पोटली को तवे में गर्म करके बवासीर को सेंके आराम अवश्य मिलेगा भोजन में दूध दलिया लेवे।
रतौंधी
पीपर को घिसकर गोमय के रस के साथ आंख में लगाने से रतौंधी दूर हो जाती है
एपेन्डीसाईटिस (आन्त्रपुच्छ)-पर सफल प्रयोग
एपेन्डीसाइटिस का डॉक्टर लोग ऑपरेशन करानेकी सलाह देते हैं. पर अब इसकी आवश्यकता नहीं।इस अनुभूत उपचार को अपनाइये, यह परीक्षित नुस्खा जिन्होंने इसको अपनाया है, पूर्ण लाभ उठाया है। कई रोगियों पर इसका प्रयोग करके शत-प्रतिशत सफलता पायी है। जंगलकी एक बूटी बनतुलसा है। उसको पीसकर लुगदी बनाकर किसी लोहे की कड़ाही आदि पर उसको गर्म करके (भूनकर नहीं) उस पर थोड़ा सा नमक छिड़क दें और दर्द के स्थान पर लुगदी की टिकिया को रखकर 48 घंटे में तीन बार बदल कर बांधे। इस बीच रोगी को आराम करना चाहिए इस 48 घंटे के उपचार के बाद रोग सदैव के लिए जाता रहेगा
बाल रोगों के नुस्खे
ज्वर-- यदि बालकों को ज्वर हो, दस्त आता हो, खांसी आती हो, सांस फूल रही हो ,तथा उल्टी होती हो, तो नागरमोथा, पीपल, अतीस और काकड़ासिंगी इन चारों को कूट पीस और छान कर शहद (मधु) में मिलाकर बालकों को चटाना चाहिए।
दस्त सोंठ ,अतीस, नागरमोथा, सुगंधवाला और इंद्रजौ- इन सब का काढ़ा बनाकर सुबह बच्चों को पिलाना चाहिए!
हिचकी -- कुटकी के चूर्ण को शहद में मिलाकर बच्चों को चटाने से उनकी हिचकियां दूर होती हैं ।
खांसी-- धनिया और मिश्री को पीसकर चांवल के धोवन के साथ पिलाने से बच्चों की खांसी दूर होती है।
उलटी-- सोना गेरू को महीन पीसकर शहद में मिलाकर बच्चों को चटाने से उलटी खांसी दूर होती है बालकों का रोना और डरना त्रिफला चूर्ण और पीपल (छोटी पीपल) के चूर्ण को मिलकर शहद में मिलाएं और बच्चों को चटाएं इससे रोना डरना बंद हो जाएगा।
बच्चे अगर मिट्टी खा लिए हों *पका केला शहद में मिलाकर खिलाना चाहिए ।
पेट के कीड़े -- प्याज का रस पिलाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं
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