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"स्वस्थ कौन है और हमेशा स्वस्थ कैसे रहें – आयुर्वेद की दृष्टि से"  ? Meta Description:

"स्वस्थ कौन है और हमेशा स्वस्थ कैसे रहें – आयुर्वेद की दृष्टि से" ? Meta Description:

जो व्यक्ति तन और मन दोनों तरह से स्वस्थ रहता है वही व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ कहलाता है | तन से वह व्यक्ति स्वस्थ होता है जिसमे बात पित्त और कफ सामंजस्य अवस्था में रहता है परन्तु तन से व्यक्ति जब तक स्वस्थ नहीं रह सकता जब तक वह मन से स्वस्थ न हो मन से वही व्यक्ति स्वस्थ रहता है जो सदाचारी हो सदाचारी वही व्यक्ति होता है जिसमे काम क्रोध लोभ जैसे महाभूतों पर स्वयं का नियंत्रण रहता है | शास्त्रों में लेख किया गया है की जो व्यक्ति कामी होता है उसका बात कुपित हो जाता है और जो व्यक्ति क्रोधी होता है उसका पित्त कुपित हो जाता है और लोभी व्यक्ति का कफ कुपित हो जाता है अतः सदाचारी व्यक्ति ही पूर्ण स्वस्थ रहने की कल्पना कर सकता है |

Apr 15, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"मोटापा घटाने के आयुर्वेदिक उपाय – स्थायी वजन कम करें बिना साइड इफेक्ट के"

"मोटापा घटाने के आयुर्वेदिक उपाय – स्थायी वजन कम करें बिना साइड इफेक्ट के"

मोटापा एक प्रकार का रोग है,इसके होने के मुख्य दो कारण हैं - (1) आनुवंशिक अर्थात वंशगत| जिनके माता पिता मोटे होते हैं उनकी संतान प्रायः मोटी ही होती है| (2) भूख से खाना,शारीरिक श्रम न करना,आरामदायक जीवन व्यतीत करना| जो लोग खाना खाकर पड़े रहते हैं,उन्हें मोटापा आ जाता है| साधारणतः मोटापा की पहचान यह है की जितने इंच शरीर की ऊंचाई हो उतने किलो शरीर का बजन ठीक है| इससे अधिक होने पर “मोटा”और इससे कम होने पर पतला कहा जायेगा|

Apr 15, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"अनिद्रा (Insomnia) का आयुर्वेदिक इलाज – गहरी नींद पाने के प्राकृतिक उपाय"

"अनिद्रा (Insomnia) का आयुर्वेदिक इलाज – गहरी नींद पाने के प्राकृतिक उपाय"

अनिद्रा- नींद ना आना इस अवस्था मै रोगी की निद्रा मै कमी हो जाती है। कारण- नींद ना आना कितनी बार दूसरे रोग का लक्षण ही रहता है।इस विकार को उत्पन्न करने वाले अनेकों कारण है – (1)- रजोगुण युक्त,बात के अथवा पित्त्युक्त बात के प्रकोप से अनिद्रा रोग उत्पन्न होता है।

Apr 15, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"100% असरदार घरेलु नुस्खे – हर रोग के लिए आसान आयुर्वेदिक इलाज"

"100% असरदार घरेलु नुस्खे – हर रोग के लिए आसान आयुर्वेदिक इलाज"

सरलतापूर्वक प्रसव के लिए - हींग भूनकर चूर्ण बना लें,चार माशा शुद्ध गो - घृत में मिलाकर खिलाने से सरलतापूर्वक प्रसव होने में सहायता मिलती है | इसके अतिरिक्त एक तोला राई के चूर्ण में भुनी हुई हींग का चूर्ण मिलाकर गरम जल के साथ सेवन करने से मूढगर्भ आसानी से बाहर आ जाता है |

Apr 15, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"निम्न रक्तचाप (Low BP) – वरदान भी, अभिशाप भी? जानिए सच"

"निम्न रक्तचाप (Low BP) – वरदान भी, अभिशाप भी? जानिए सच"

उच्च रक्तचाप तो छिपा हुआ सांप है ही जो अचानक काल के रूप में प्रकट होकर जीना दूभर कर सकता है,पर जहाँ तक निम्न रक्तचाप का प्रश्न है,यह आपके लिए दीर्घायु व स्वस्थता का द्योतक है, यदि आप किसी प्रकार का कष्ट व शारीरिक दुर्बलता महसूस नहीं करते हैं तो | पर यदि आप थकान से ग्रस्त हैं,शरीर बेजान सा लगता है,मन अनमना सा रहता है तो रक्तचाप मापन कराकर यह सुनिश्चित

Apr 15, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"निरोग रहने के लिए 10 असरदार घरेलु नुस्खे – रोज़ अपनाएं स्वस्थ रहें"

"निरोग रहने के लिए 10 असरदार घरेलु नुस्खे – रोज़ अपनाएं स्वस्थ रहें"

(१) कान दर्द - प्याज पीसकर उसका रस कपडे से छान लें| फिर उसे गर्म कर के चार बूँद कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है | (२) दांत दर्द - हल्दी एवं सेंधा नमक महीन पीसकर,उसे शुद्ध सरसों के तेल में मिलाकर सुबह-शाम मंजन करने से दातों का दर्द ठीक होता है | (३) दातों के सुराख़ - कपूर को महीन पीसकर दातों पर ऊँगली से लगावें और उसे मलें | सुराखों को भली प्रकार से साफ़ कर लें| फिर सुराखों के नीचे कपूर को कुछ समय तक दबाकर रखने से दातों का दर्द निश्चित रूप से समाप्त हो जाता है |

Apr 15, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"कम्पवात (Parkinson's) – कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज"

"कम्पवात (Parkinson's) – कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज"

शरीर के सभी अंगो के कम्प या केवल सिर के कम्पन को कंपवात कहते हैं| मिथ्या आहार-विहार तथा वात को प्रकुपित करने वाले कारणों से वात विकार उतपन्न होते हैं | आयुर्वेद में 80 प्रकार की वात व्याधियों का वर्णन मिलता है,जिनके कम्पवात भी सम्मिलित है | कम्प का शाब्दिक अर्थ है काँपना,जिसे साधारण बोलचाल की भाषा में हिलना या हिलते रहना ही कह सकते हैं | नाडीमंडल के द्वारा मनुष्य के सम्पूर्ण शरीर के अंग-प्रत्यंगो की चेष्टाओं का नियंत्रण होता है |

Apr 15, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"पक्षाघात (लकवा) – असाध्य बनने से पहले करें इलाज | Ayurvedic उपाय"

"पक्षाघात (लकवा) – असाध्य बनने से पहले करें इलाज | Ayurvedic उपाय"

मनुष्य के शरीर को लम्बाई में सिर से लेकर पैर तक के हिस्से को दो बराबर भागों में बाटने पर एक हिस्सा बायां भाग तथा दूसरा हिस्सा दायां भाग कहलाता है | इन दोनों भागों के किसी भी एक पक्ष की चेष्टाओं के नष्ट होने पर उसे पक्षाघात या अर्धंगबात कहते हैं| साधारण भाषा में इसे लकवा कहते हैं कारण- आयुर्वेद के मत से वात (वायु)को प्रकुपित करने वाले आहार विहार का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से वात दोष प्रकुपित होता है | यह प्रकुपित वायु शरीर के किसी भी एक पक्ष में आ

Apr 02, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"डेंगू बुखार: कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज | Dengue Fever Ayurvedic Treatment"

"डेंगू बुखार: कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज | Dengue Fever Ayurvedic Treatment"

वर्षा ऋतू अपने साथ अनेक खुशियां लेकर आती है ,क्योंकि वर्षा ऋतू आगमन पर भीषण गर्मी से मुक्ति मिलती है , लेकिन जब वर्षा का अंत होता है और गुलाबी शीत ऋतू का प्रारम्भ होता है तो वर्षा के जल कारण मक्खी,मच्छर और दूसरे जीवाणु तेज़ी से उत्पन्न होते हैं| वर्षा के जल से भरे गड्ढों में मच्छर

Apr 02, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"क्या बुढ़ापा रोका जा सकता है? जानिए आयुर्वेद और विज्ञान का नजरिया"

"क्या बुढ़ापा रोका जा सकता है? जानिए आयुर्वेद और विज्ञान का नजरिया"

बुढ़ापा या बृद्धावस्था शरीर में होने वाला एक जीव वैज्ञानिक परिवर्तन है ,जिसमे युवावस्था के मुक़ाबले आदमी की रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है,जब शरीर की मानसिक अवस्था कमजोर होने लगे,भार घटने लगे,त्वचा में झुर्रियां पड़ने लगे ,नज़र कमजोर होने लगे, बाल सफ़ेद होते जाएँ तो यह समझना चाहिए की शरीर बुढ़ा

Apr 02, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"साइटिका (Sciatica): कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक निवारण"

"साइटिका (Sciatica): कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक निवारण"

पंचम कटिप्रदेशीय तथा प्रथम और द्वितीय कटिप्रदेशीय नाड़ी मूलों के मिलने से ग्रध्रसी नाड़ी ( sciatica nerve ) का निर्माण होता है | इन गाडी मूलों पर विकृति होने के फलस्वरूप साइटिका (sciatica ) की उत्पत्ति होती है | इस विकृति का कारण दुष्ट वात होती है ,जो नितम्ब,उ

Apr 02, 2025
आयुर्वेद ज्ञान
"रेबीज़: एक जानलेवा लेकिन रोके जा सकने वाला रोग | Rabies is 100% Preventable"

"रेबीज़: एक जानलेवा लेकिन रोके जा सकने वाला रोग | Rabies is 100% Preventable"

यह एक बेहद संक्रामक व जानलेवा रोग है | इस रोग को “हयड्रोफोबिया” लाइसा व पागलपन आदि कहते हैं | वैसे तो यह जानवरों को होने वाला रोग है लेकिन रेबीजग्रस्त पशुओं के काटने से यह रोग मनुष्यों को भी हो जाता है | प्रायः यह रोग पागल कुत्ते के काटने से होता है | कारण - यह रोग “रहेब्डो वायरस” से होता है | ये वायरस रक्त में मौजूद नहीं होते , केवल तंत्रिकातंत्र को नुकसान पहुंचाकर शरीर को प्र

Apr 02, 2025
आयुर्वेद ज्ञान

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